कैसी भी समस्या हो और कोई भी ज़रूरत, हम भारतीय जुगाड़ से कमाल की चीज़ें बनाकर अपना काम आसान बना ही लेते हैं। ऐसे ही एक जुगाड़ू जादूगर हैं प्रज्जवल, जो जब सातवीं में पढ़ते थे तब से पंखे, टॉर्च, कूलर जैसी चीज़ें घर के कबाड़ से बना रहे हैं और 18 साल की उम्र में ही वह एक ह्यूमन ड्रोन बनाने पर भी काम कर रहे हैं।
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पूरी दुनिया की वैश्विक भाषा भले ही अंग्रेज़ी बन गई हो, लेकिन आज भी देश में एक ऐसी दुकान मौजूद है, जहां अभी भी वेदों की भाषा संस्कृत बोली जाती है।
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