न लगाओ पहरे
कि जिन रास्तों से है
उनका आना-जाना
कि भला क्या छुपा रखा है
जो चाहे कोई तुमसे पाना
मुद्दतें इश्क की दवा है वहाँ
या फिर छुपा रखा कोहिनूर
भला ऐसी कौन सी दौलत
जिसके बल पर
दिखाएं इतना सरूर
दुनिया के बाजार में
नहीं कुछ भी बचा कीमती
तो भला क्यों इतराते हो
क्या बिगड़ेगा जो देखे लेंगे
वह शान ए शौकत
तुम इतना क्यों इतराते हो
मंजीरे महफिल और
साज ए सजावट में सजी है
और भी महफिले
भला क्यों झेंपता है
क्या तुझे खुद से है गिले..