आज हिंदी साहित्य के दो रत्नों का जन्मदिवस है। पूर्व-छायावाद युग के अग्रणी हस्ताक्षर रामनरेश त्रिपाठी जी ने जहॉं गाँव-गाँव घूम कर वहाँ गाये जाने वाले लोक गीत जैसे सोहर, कजरी, बिरहा, होरी आदि का एक विशाल कोष एकत्रित कर उसे ’कविता कौमुदी’ का साकार रूप दिया,वहीं फणीश्वर नाथ रेणु ने आँचलिकता की ख़ुशबू से सराबोर “मैला आँचल” जैसे अद्भुत उपन्यास की रचना की। दोनों मनीषियों को उनके जन्मदिवस पर अशेष प्रणाम