”चाँदनी कह तो दिया था तुझे हमने लेकिन
चाँद से पूछा तब उन्वान मुकम्मल ठहरा
तेरे चेहरे की हर तहरीर ग़ज़ल की हमने
तब कहीं जाके ये दीवान मुकम्मल ठहरा..!” ❤️
बात करनी है बात कौन करे...❤️
एक पुरानी ग़ज़ल, केवी म्यूज़िकल के इस नए अंदाज में ! इसे सुनने के बाद उन अपनों तक भी अवश्य पहुँचाइएगा जिनसे स्नेह का सारा संवाद दर्द की जटिल उलझनों में कुछ ऐसे ही फँसा हुआ हो... 😊
https://www.facebook.com/watch/?v=797992530833181
KV Studio के चैनल पर मेरे अनदेखे-अनसुने पुराने प्रस्तुतियों की एक शृंखला चलाई जा रही है ! उसी कड़ी में यह विडियो भी शामिल है। वैसे मुझे पता है कि ये मुक्तक इससे पहले भी आप तक किसी न किसी माध्यम से अवश्य पहुँचे होंगे पर केवी स्टूडियो के बच्चों का मानना है कि यह प्रस्तुति भी आप तक ज़रूर पहुँचनी चाहिए ! 😍 तो सुनिए...❤️
https://m.youtube.com/watch?v=ntUkWcC0LF4&feature=youtu.be
”हर एक रांझे को मिल जाये जो उसकी हीर होली में
चटख रंगों में घुल जाये तो दिल की पीर होली में
हमारे दिल की दिल्ली में जो राजस्थान पसरा है
उसे छूकर लबों से तुम करो कश्मीर होली में..!” 😍❤️
#happy_holi
होलिका दहन के साथ समस्त कलुष व नैराश्य के समाप्त होने की प्रार्थना और होली की हार्दिक शुभकामनाएँ ! 😍🙏🏻
”थिरक उट्ठे ज़माना भूलकर खुद आप होली में
दिलों में प्यार की ऐसी बजे इक थाप होली में
जो पिछले वर्ष भर में इस सियासत ने हमें सौंपे
जला डालें चलो सारे कलुष, सब पाप होली में” 😍
#HappyHoli
रंगोत्सव होली में, ख़ुशरंग गालों पर चढ़ने वाले मुहब्बत के गाढ़े गुलालों की चमक आपके जीवन को भी उतने ही चटक रंगों से परिपूर्ण करे ! उम्मीद है इस अवसर पर, यह विशेष गीत आप तक होली के रंगों को समग्रता के साथ पहुँचाएगा🙏 !
“आज होलिका के अवसर पर...”😍 #HappyHolihttps://youtu.be/2xZxGAFs2Xc
आज छायावाद की आधार स्तंभ महीयसी महादेवी वर्मा का जन्मदिवस है। पीड़ा को शब्द-सुमन में रूपांतरित कर उसे परम सम्मोहक बनाने की कला में निष्णात महादेवी वर्मा जी को महाप्राण निराला द्वारा “हिन्दी के विशाल मन्दिर की सरस्वती” की संज्ञा दी गयी। साध्वी-सा सादा जीवन व्यतीत करने वाली शब्द-साधिका महादेवी वर्मा को उनके जन्मदिवस पर सादर नमन।
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=286881166135230&id=10004440
आज विश्व कविता दिवस है। साहित्य के द्वारा सत्यम, शिवम् और सुंदरम् की अवधारणा को साकार करने के लिए चिर-संकल्पित सभी भाषाओं के काव्य-सर्जकों को कविता के इस वैश्विक उत्सव पर ढेर सारी बधाई ! कवि-कर्म के कठिन व्रत पर यह यात्रा इस सच के साथ सदैव जारी रहे !
मैं कवि हूँ जब तक पीड़ा है.... 😊
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=283776313112382&id=100044400460617
रात और दिन का फासला हूँ मैं
ख़ुद से कब से नहीं मिला हूँ मैं
ख़ुद भी शामिल नहीं सफ़र में, पर
लोग कहते हैं काफिला हूँ मैं
ऐ मुहब्बत! तेरी अदालत में
एक शिकवा हूँ, एक गिला हूँ मैं
मिलते रहिए, कि मिलते रहने से
मिलते रहने का सिलसिला हूँ मैं