नज़र है नशीली ,छलकती है मदिरा ,
अरे मेरे साकी तू मुझको पिला दे ।
अगर बूँद टपके टपकने ही देना ,
ये नमकीन चाहत का अमृत पिला दे ।
मगर ये सुना है तू मीठी सुराही ,
जरा अपने होठो की चुस्की लगा दे।
नशीला बदन है नशीला जोवन है ,
नशीली अदा की मस्ती लगा दे ।
थिरकता है तन मन,मचलता है जीवन ,
सुनो रागनी ,प्रेम दीपक जला दे ।
सुनो एक हम तुम कही एक होगे ,
मिलन दिव्यता का मधुर गीत गा दे ।
-- हरिओम तिवारी ✍✍