किसी की अच्छाई देखनी हो तो उससे सलाह लो, किसी के गुण देखने हों तो उसके साथ भोजन करो, किसी की आदत देखनी हो तो उसे सम्मान दो और किसी की नियत देखनी हो तो उसे कर्ज दो।’ आचार्य चाणक्य
जब मेहनत करने का बाद भी सपने पूरे नहीं होते तो रास्ते बदलिए सिद्धांत नहीं क्योंकि पेड़ भी हमेशा पत्ते बदलता है जड़ नहीं। गीता में साफ शब्दों में लिखा है निराश मत होना कमजोर तेरा वक्त है तू नहीं।’ आचार्य चाणक्य
’खुद का अपमान कराके जीने से तो अच्छा मर जाना है क्योंकि प्राणों के त्यागने से केवल एक ही बार कष्ट होता है पर अपमानित होकर जीवित रहने से आजीवन दुख होता है।’ आचार्य चाणक्य