जनतंत्र के मंदिर में जनता भगवान है। देश की 60 फीसदी जनता कृषि पर आधारित है पर आज हमें संसद के अंदर भी किसान की आवाज उठाने से रोका जा रहा है और संसद के बाहर, संसद परिसर के आस-पास भी।
जिस मंदिर में भगवान की बात न हो, और जिस संसद में किसान की बात न हो, वहां संघर्ष ही धर्म है।