स्वस्थ लोकतंत्र में न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका का आपसी समन्वय के साथ संस्था का स्वतंत्र होना अति आवश्यक है। यदि इन तीनों संस्था में आर्थिक रूप से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पदाधिकारी भ्रष्ट या दबाव में होने पर, लोकतंत्र सुचारू रूप से नहीं चल सकता है।