या कुन्देन्दुतुषारहारधवला
या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा
या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभि
र्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती
निःशेषजाड्यापहा ।।
आदि अनादि अनंत अखंड
अभेद अछेद सुवेद बतावै
रूप महेश को नित्य अनूप
जो जोगी जती उर माही बसावे
गावत वेद पुराण सदा जेहि
नारद सारद पार न पावें
है बड़भागी सबै नर नारी जो
सांब सदाशिव को नित ध्यावै.
!! मेरी तकदीर के मालिक,
मेरी तकदीर तो तुम हो
जो उभरी है सितारों पे,
मेरी तस्वीर तो तुम हो
यह दौलत ,यह शोहरत ,
सफर श्मशान तक का है
जो आखिर साथ जाना है,
असल जागीर तो तुम हो !!