बहुत सुंदर पंक्तियाँ
रहता हूं किराये की काया में,
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रोज़ सांसो को बेच कर किराया चूकाता हूं!
मेरी औकात है बस मिट्टी जितनी ,
बात मैं महल मिनारों की कर जाता हूं!
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जल जायेगी ये मेरी काया ऐक दिन,
फिर भी इसकी खूबसूरती पर इतराता हूं!
मुझे पता है मैं खुद के सहारे श्मशान तक
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भी ना जा सकूंगा,
इसीलिए जमाने में दोस्त बनाता हूँ !!"
जय माँ लक्ष्मी जी
जय माता दी
शुभ शुक्रवार
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